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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] [२४७ अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा १२, बादरवणप्फइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा १३, बादर अपज्जत्तगा विसेसाहिया १४, सुहुमवणप्फइकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा १५, सुहुमा अपज्जत्तगा विसेसाहिया १६। [२४८ प्र.] भगवन्! इन सूक्ष्म-अपर्याप्तकों, सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तकों, सूक्ष्म-अप्कायिक अपर्याप्तकों, सूक्ष्म-तेजस्कायिक-अपर्याप्तकों, सूक्ष्म-वायुकायिक-अपर्याप्तकों, सूक्ष्म-वनस्पतिकायिकअपर्याप्तकों, सूक्ष्म-निगोद-अपर्याप्तकों, बादर-पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तकों, बादर-अप्कायिक-अपर्याप्तकों, बादर-तेजस्कायिक-अपर्याप्तकों, बादर वायुकायिक-अपर्याप्तकों, बादर-वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तकों, प्रत्येकशरीर बादर-वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तकों, बादर-निगोद-अपर्याप्तकों, बादर निगोद-अपर्याप्तकों एवं बादर-त्रसकायिक-अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [२४८ उ.] गौतम! १. सबसे थोड़े बादरत्रसकायिक-अपर्याप्तक हैं, २. (उससे) बादर-तेजस्कायिकअपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) प्रत्येकशरीर-बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) बादरनिगोद-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) बादर-पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६. (उनसे) बादर अप्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यात-गुणे हैं, ७. (उनसे) बादरवायुकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ८. (उनसे) सूक्ष्मतेजस्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ९. (उनसे) सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १०. (उनसे) सूक्ष्म-अप्कायिक-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ११. (उनसे) सूक्ष्मवायुकायिक-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १२. (उनसे) सूक्ष्म-निगोदअपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, १३. (उनसे) बादरवनस्पतिकायिक अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, १४. (उनसे) बादर-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, १५. (उनसे) सूक्ष्म-वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं (और उनसे भी) १६. सूक्ष्म-अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं। २४९. एतेसि णं भंते! सुहुमपज्जत्तयाणं सुहुमपुढविकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमआउकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमतेउकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमवणप्फइकाइयपज्जत्तयाणं सुहुमनिगोयपज्जत्तयाणं बादरपज्जत्तयाणं बादरपुढविकाइयपज्जत्तयाणं बादरआउकाइयपज्जत्तयाणं बादरतेउकाइयपज्जत्तयाणं बादरवाउकाइयपज्जत्तयाणं बादरवणप्फइकाइयपज्जत्तयाणं पत्तेयसरीरबादरवणप्फइकाइयपज्जत्तयाणं बादरनिगोदपज्जत्तयाणं बादरतसकाइयपज्जत्तयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतेउकाइया पज्जत्तगा १, बादरतसकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा २, पत्तेयसरीबादरवणप्फइकाइया पज्जत्तगा असंखेजगुणा ३, बादरनिगोदा पज्जत्तया असंखेजगुणा ४, बादरपुढविकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा ५, बादरआउकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा ६, बादरवाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा ७, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा ८, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया ९, सुहुमआउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया १०,
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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