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________________ २२८] [प्रज्ञापना सूत्र विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४. (उनसे) द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५. (उनसे) एकेन्द्रिय अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं और ६. (उनसे भी) इन्द्रिय सहित अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं। २२९. एतेसि णं भंते! सइंदियाणं एगिंदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिदियाणं पंचेंदियाणं पज्जत्तयाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा चरिंदिया पज्जत्तगा १, पंचेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया २, बेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया ३, तेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया ४, एगिंदिया पज्जत्तगा अणंतगुणा ५, सइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया ६। [२२९ प्र.] भगवन् ! इन इन्द्रियसहित, एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं? [२२९ उ.] गौतम! १. सबसे कम चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक जीव हैं, २. उनसे पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) द्वीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४. (उनसे) त्रीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५. (उनसे) एकेन्द्रिय पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं और ६. उनसे भी इन्द्रियसहित पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं। २३०. [१] एतेसि णं भंते ! सइंदियाणं पज्जत्ताऽपज्जाताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा सइंदिया अपज्जत्तगा, सइंदिया पजत्तगा संखेन्जगुणा। [२३०-१ प्र.] भगवन् ! इन्द्रिययुक्त (सेन्द्रिय) पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में कौन किनसे अल्प, बहुत तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [२३०-१ उ.] गौतम! सबसे थोड़े सेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं, (उनसे) सेन्द्रिय पर्याप्तक जीव संख्यातगुणे [२] एतेसि णं भंते! एगिंदियाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा एगिंदिया अपज्जत्तगा, एगिदिया पज्जत्तगा संखेजगुणा। [२३०-२ प्र.] भगवन् ! इन एकेन्द्रिय पर्याप्तक और अपर्याप्तक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? ___ [२३०-२ उ.] गौतम! सबसे अल्प एकेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं, (उनसे) एकेन्द्रिय पर्याप्तक संख्यातगुणे [३] एतेसि णं भंते! बेंदियाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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