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________________ १०२] [प्रज्ञापना सूत्र यह हुई उक्त सरागदर्शनार्यों की प्ररूपणा। १११. से किं तं वीयरागदसणारिया ? वीयरागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—उवसंतकसायवीयरायदंसणारिया खीणकसायवीयरायदंसणारिया। [१११ प्र.] वीतरागदर्शनार्य कैसे होते हैं ? [१११ उ.] वीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार–उपशान्तकषायवीतरागदर्शनार्य और क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य। ११२. से किं तं उवसंतकसायवीयरायदंसणारिया ? उवसंतकसायवीयरायदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा–पढमसमयउवसंतकसायवीयराय-दसणारिया अपढमसमयउवसंतकसायवीयरायदंसणारिया, अहवा चरिमसमयउवसंतकसायवीयरायदंसणारिया य अचरिमसमयउवसंतकसायवीयरायदंसणारिया य। [११२ प्र.] उपशान्तकषायवीतरागदर्शनार्य कैसे होते हैं ? [११२ उ.] उपशान्तकषायवीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। यहाँ -प्रथमसमय उपशान्तकषायवीतरागदर्शनार्य और अप्रथमसमयउपशान्तकषायवीतरागदर्शनार्य अथवा चमरसमयउपशान्तकषायवीतरागदर्शनार्य और अचरमसमयउपशान्तकषायवीतरागदर्शनार्य। ११३. से किं तं खीणकसायवीयरायदंसणारिया ? खीणकसायवीयरायदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—छउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य केवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया य। [११३ प्र.] क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य कैसे होते हैं ? [११३ उ.] क्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकारछद्मस्थक्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य और केवलिक्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य। ११४. से किं तं छउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया ? छउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागदंसणारिया य । [११४ प्र.] छद्मस्थक्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य किस प्रकार के हैं ? [११४ उ.] छद्मस्थक्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकारस्वयंबुद्धछद्मस्थक्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य और बुद्धबोधितछद्मस्थक्षीणकषायवीतरागदर्शनार्य। ११५. से किं तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरागदसणारिया ?
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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