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________________ प्रथम प्रज्ञापनापद] [९९ [१०७ प्र.] भाषार्य कौन-कौन से हैं ? [१०७ उ.] भाषार्य वे हैं, जो अर्धमागधी भाषा में बोलते हैं, और जहाँ भी ब्राह्मी लिपि प्रचलित है (अर्थात्—जिनमें ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया जाता है)। ब्राह्मी लिपि में अठारह प्रकार का लेखविधान (लेखन-प्रकार) बताया गया है। जैसे कि—१. ब्राह्मी, २. यवनानी, ३. दोषापुरिका, ४. खरौष्ट्री, ५. पुष्करशारिका, ६. भोगवतिका, ७. प्रहरादिका, ८. अन्ताक्षरिका, ९. अक्षरपुष्टिका, १०. वैनयिका, ११. निह्नविका, १२. अंकलिपि, १३. गणितलिपि, १४. गन्धर्वलिपि, १५. आदर्शलिपि, १६. माहेश्वरी, १७. तामिली—द्राविड़ी, १८. पौलिन्दी। यह हुआ उक्त भाषार्य का वर्णन। १०८. से किं तं णाणारिया ? णाणारिया पंचविहा पण्णत्ता। तं जहा—आभिणिबोहियणाणारिया १ सुयणाणारिया २ ओहिणाणारिया ३ मणपज्जवणाणारिया ४ केवलणाणारिया ५। से तं णाणारिया। [१०८ प्र.] ज्ञानार्य कौन-कौन से हैं ? __ [१०८ उ.] ज्ञानार्य पांच प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार -१. आभिनिबोधिकज्ञानार्य, २. श्रुतज्ञानार्य, ३. अविधज्ञानार्य, ४. मनः पर्यवज्ञानार्य और ५. केवलज्ञानार्य । यह है उक्त ज्ञानार्यों की प्ररूपणा। १०९. से किं तं दंसणारिया ? . दसणारिया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा—सरागदंसणारिया य वीयरागदसणारिया य। [१०९ प्र.] वे दर्शनार्य कौन-कौन से हैं ? [१०९ उ.] दर्शनार्य दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार –सरागदर्शनार्य और वीतरागदर्शनार्य। ११०. से किं तं सरागदंसणारिया ? सरागदंसणारिया दसविहा पण्णत्ता। तं जहा निस्सग्गुवएसरुई-१ २-आणारुइ ३-सुत्त ४-बीयरुइ ५-मेव। अहिगम-६ वित्थाररुई-७ कि रिया-८ संखेव-९ धम्मरुई-१० ॥ ११९॥ भूअत्थेणाधिगया जीवाऽजीवं च पुण्ण-पावं च। सहसम्मुइयाऽऽसव-संवरे य रोएइ उ णिसग्गो॥ १२०॥ जो जिणदिवें भावे चउव्विहे सदहाइ सयमेव। एमेव णऽण्णह त्ति य णिस्सग्गरुइ ति णायव्वो १॥१२१॥ एते चेव उ भावे उवदिठे जो परेण सद्दहइ।। छउमत्थेण जिणेण व उवएसरुइ त्ति नायव्वो २॥१२२॥ जो हे उमयाणंतो आणाए रोयए पवयणं तु। एमेव णऽण्णह त्ति य एसो आणारुई नाम ३॥१२३॥
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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