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[ प्रज्ञापना सूत्र [८५-५] इस प्रकार (नकुल) इत्यादि इन पर्याप्तक और अपर्याप्तक भुजपरिसॉं के नौ लाख जाति-कुलकोटि-योनि-प्रमुख होते हैं, ऐसा कहा है।
यह हुआ पूर्वोक्त भुजपरिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों (का वर्णन।)(साथ ही) परिसर्पस्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकों (की प्ररूपणा भी पूर्ण हुई)।
८६. से किं तं खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ?
खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउव्विहा पण्णत्ता। तं जहां-चम्मपक्खी १ लोमपक्खी समुग्गपक्खी ३ वियतपक्खी ४। . [८६ प्र.] वे (पूर्वोक्त) खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक किस-किस प्रकार के हैं ?
[८६ उ.] खेचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक चार प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं (१) चर्मपक्षी (जिनकी पांखें चमड़े की हों), (२) लोम (रोम) पक्षी (जिनकी पांखें रोंएदार हों), (३)समुद्गकपक्षी (जिनकी पांखें उड़ते समय भी समुद्गक (डिब्बे या पेटी) जैसी रहें ), और (४) विततपक्षी (जिनके पंख फैले हुए रहें, सिकुड़ें नहीं)।
८७. से किं तं चम्मपक्खी ?
चम्मपक्खी अणेगविहा पण्णत्ता। तं जहा—वग्गुली जलोया अडिला भारंडपक्खी जीवंजीवा समुद्दवायसा कण्णत्तिया पक्खिबिराली, जे यावऽण्णे तहप्पगारा। से तं चम्मपक्खी।
[८७ प्र.] वे (पूर्वोक्त चर्मपक्षी खेचर किस प्रकार के हैं ?
[८७ उ.] चर्मपक्षी अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार-वल्गुली (चमगीदड़-चमचेड़), जलौका, अडिल्ल, भारण्डपक्षी, जीवंजीव (चक्रवाक-चकवे),समुद्रवायस (समुद्री कौए), कर्णत्रिक और पक्षिविडाली। अन्य जो भी इस प्रकार के पक्षी हों, (उन्हें चर्मपक्षी समझना चाहिए)। यह हुई चर्मपक्षियों (की प्ररूपणा)।
८८. से किं तं लोमपक्खी ?
लोमपक्खी अणेगविहा पन्नत्ता। तं जहा–ढंका कंका वायसा चक्कागा हंसा कलहंसा पायहंसा रायहंसा अडा सेडी बगा बलागा पारिप्पवा कोंचा सारसा मेसरा मसूरा मयूरा सतवच्छा गहरा पोंडरीया कागा कामंजुगा वंजुलगा तित्तिरा वट्टगा लावगा कवोया कविंजला पारेवया चिडगा चासा कुक्कुडा सुगा बरहिणा मदणसलागा कोइला सेहा वरेल्लगमादी। से तं लोमपक्खी।
[८८ प्र.] वे (पूर्वोक्त) रोमपक्षी किस प्रकार के हैं।
[८८ उ.] रोमपक्षी अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं-ढंक, कंक, कुरल, वायस (कौए), चक्रवाक (चकवा), हंस, कलहंस, राजहंस (लाल चोंच एवं पंख वाले हंस), पादहंस, आड (अड), सेडी, बक (बगुले), बकाका (बकपंक्ति), पारिप्लव, क्रौंच, सारस, मेसर, मसूर, मयूर (मोर), शतवत्स (सप्तहस्त), गहर, पौण्डरीक, काक, कामंजुक (कामेजुक), वंजुलक, तित्तिर (तीतर), वर्तक