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________________ १३८] समान ही गमनागमन करते हुए अन्त में सुबाहुकुमार की ही तरह महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर, वहाँ पर चारित्र की सम्यक् आराधना से कर्मरहित होकर मोक्षगमन भी समान ही समझना चाहिये। वरदत्त कुमार का जीव स्वर्गीय तथा मानवीय, अनेक भवों को धारण करता हुआ अन्त में सर्वार्थसिद्ध विमान में उत्पन्न होगा, वहाँ से च्यव कर महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न हो, दृढ़प्रतिज्ञ की तरह सिद्धगति को प्राप्त करेगा। हे जम्बू! इस प्रकार यावत् मोक्षसम्प्राप्त श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने सुखविपाक के दशम अध्ययन का यह अर्थ प्रतिपादन किया है, ऐसा मैं कहता हूँ। जम्बू स्वामी भगवन् ! आपका सुखविपाक का कथन, जैसा कि आपने फरमाया है, वैसा ही है, वैसा ही है। ॥ दशम अध्ययन समाप्त॥ ॥ सुखविपाक समाप्त॥ ॥विपाकश्रुत समाप्त॥
SR No.003451
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_vipakshrut
File Size5 MB
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