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________________ नवम अध्ययन महाचन्द्र १-नवमस्स उक्खेवो। १–नवम अध्ययन का उत्क्षेप यथापूर्व जान लेना चाहिये। २–चम्पा नयरी। पुण्णभद्दे उज्जाणे। पुण्णभद्दो जक्खो। दत्ते राया।रत्तवई देवी।महचंदे कुमारे जुवराया।सिरीकन्तापामोक्खाणं पंचसयाणं रायवरकन्नगाणं पाणिग्गहणं जाव पुव्वभवो। तिगिच्छिया नयरी। जियसत्तू राया। धम्मवीरिए अणगारे पडिलाभिए जाव सिद्धे। २—हे जम्बू! चम्पा नाम की नगरी थी। वहाँ पूर्णभद्र नामक सुन्दर उद्यान था। उसमें पूर्णभद्र यक्ष का यक्षायतन था। वहाँ के राजा का नाम दत्त और रानी का नाम रक्तवती था। उनके युवराज पदासीन महाचन्द्र नामक राजकुमार था। उसका श्रीकान्ता प्रमुख ५०० श्रेष्ठ राजकन्याओं के साथ पाणिग्रहण हुआ था। एक दिन पूर्णभद्र उद्यान में श्रमण भगवान् महावीर स्वामी का पर्दापण हुआ। महाचन्द्र ने उनसे श्रावकों के बारह व्रतों को ग्रहण किया। गणधर देव श्री गौतम स्वामी ने उसके पूर्वभव के सम्बन्ध में जिज्ञासा प्रकट की। भगवान् महावीर स्वामी ने उत्तर देते हुए फरमाया हे गौतम! चिकित्सिका नाम की नगरी थी। महाराज जितशत्रु वहाँ राज्य करते थे। उसने धर्मवीर्य अनगार को प्रासुक–निर्दोष आहार पानी का दान देकर प्रतिलम्भित किया, फलत: मनुष्य-आयुष्य को बान्धकर यहाँ उत्पन्न हुआ। यावत् श्रामण्य-धर्म का यथाविधि अनुष्ठान करके महाचन्द्रमुनि बन्धे हुए कर्मों का समूल क्षय कर परमपद को प्राप्त हुए। इन सब के जीवनवृत्तान्तों में मात्र नामगत व स्थानगत भिन्नता के अतिरिक्त अर्थगत कोई भेद नहीं निक्षेप उपसंहार—पूर्ववत् समझ लेना चाहिये। ॥ नवम अध्ययन समाप्त॥
SR No.003451
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_vipakshrut
File Size5 MB
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