SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चतुर्थ अध्ययन सुवासवकुमार १-चउत्थस्स उक्खेवो। १–चतुर्थ अध्ययन की प्रस्तावना भी यथापूर्व समझ लेनी चाहिए। २—विजयपुरं नयरं। नन्दणवणं उजाणं।असोगो जक्खो।वासवदत्ते राया। कण्हादेवी। सुवासवे कुमारे। भद्दापामोक्खाणं पंचसयाणं रायवरकन्नगाणं जाव पुव्वभवे। कोसंबी नयरी। धणपाले राया। वेसमणभद्दे अणगारे पडिलाभिए। इहं उववन्ने। जाव सिद्धे। निक्खेवो। - २—सुधर्मा स्वामी ने उत्तर दिया हे जम्बू! विजयपुर नाम का एक नगर था। वहाँ नन्दनवन नाम का उद्यान था। उस उद्यान में अशोक नामक यक्ष का यक्षायतन था। विजयपुर नगर के राजा का नाम वासवदत्त था। उसकी कृष्णादेवी नाम की रानी थी। सुवासवकुमार नामक राजकुमार था। भद्रा-प्रमुख पाँच सौ राजाओं की श्रेष्ठ कन्याओं के साथ विवाह हुआ। श्रमण भगवान् महावीर स्वामी पधारे। सुवासवकुमार ने श्रावकधर्म स्वीकार किया। गौतम स्वामी ने उसके पूर्वभव का वृत्तान्त पूछा। उत्तर में श्री भगवान् ने फरमाया गौतम! काशाम्बी नाम की नगरी थी। वहाँ धनपाल नामक राजा था। उसने वैश्रमणभद्र अनगार को निर्दोष आहार का दान दिया, उसके प्रभाव से मनुष्य-आयुष्य का बन्ध हुआ यावत् यहाँ सुवासवकुमार के रूप में जन्म लिया है, यावत् इसी भव में सिद्धि-गति को प्राप्त हुए। विवेचन प्रस्तुत अध्ययन में भी चरित्रनायक के नाम, जन्मभूमि, उद्यान, माता-पिता, परिणीत स्त्रियों, पूर्वभव सम्बन्धी नाम, जन्मभूमि तथा प्रतिलाभित मुनिराज की विभिन्नता के नामों को छोड़कर अवशिष्ट सारा कथा-विभाग सुबाहुकुमार की ही तरह समझ लेने का निर्देश किया है। निक्षेप की कल्पना पूर्ववत् कर लेनी चाहिए। ॥ चतुर्थ अध्ययन समाप्त॥
SR No.003451
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_vipakshrut
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy