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________________ ७८] [विपाकसूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध भगवान् ने उत्तर दिया हे गौतम! यह नन्दिषेण कुमार साठ वर्ष की परम आयु को भोगकर मृत्यु मय में मर करके इस रत्नप्रभा नामक पृथ्वी-नरक में उत्पन्न होगा। इसका शेष संसार-भ्रमण मगापुत्र के अध्ययन की तरह समझ लेना यावत् वह पृथ्वीकाय आदि सभी कायों में लाखों बार उत्पन्न होगा। . पृथ्वीकाय से निकलकर हस्तिनापुर नगर में मत्स्य के रूप में उत्पन्न होगा। वहां मच्छीमारों के द्वारा वघ के प्राप्त होकर फिर वहीं हस्तिनापुर नगर में एक श्रेष्ठि-कुल में पुत्ररूप में उत्पन्न होगा। वहाँ से महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा। वहाँ पर चारित्र ग्रहण करेगा और उसका यथाविधि पालन कर उसके प्रभाव से सिद्ध होगा, बुद्ध होगा, मुक्त होगा और परमनिर्वाण को प्राप्त कर सर्व प्रकार के दुःखों का अन्त करेगा। ॥ छठा अध्ययन समाप्त॥
SR No.003451
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_vipakshrut
File Size5 MB
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