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________________ ७२] [विपाकसूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध ६-हे गौतम! उस काल उस समय में इसी जम्बूद्वीप नामक द्वीप के अन्तर्गत भारतवर्ष में सिंहपर नामक एक ऋद्ध, स्तिमित व समद्ध नगर था। वहाँ सिंहरथ नाम का राजा राज्य करता था। उस राजा के दुर्योधन नाम का चारकपाल कारागाररक्षक-जेलर था, जो अधर्मी यावत् कठिनाई से प्रसन्न होने वाला था। जेलर का घोर अत्याचार ७–तस्सणं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स इमेयारूवे चारगभंडे होत्था—बहवे अयकुंडीओअप्पेगइयाओ तंबभारियाओ, अप्पेगइयाओ तउयभरियाओ, अप्पेगइयाओ सीसभरियाओ, अप्पेगइयाओ कलकलभरियाओ, अप्पेगइयाओ खारतेल्लभरियाओ-अणगिकार्यसि अद्दहियाओ चिट्ठति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे उट्टियाओ-अप्पेगइयाओ आसमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ हत्थिमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ गोमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ महिसमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ उट्टमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ अयमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ एलमुत्तभरियाओ बहुपडिपुण्णाओ चिटुंति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे हत्थंडुयाण य पायंडुयाण यहडीण य नियलाण य संकलाण य पुंजा य निगरा च संनिक्खित्ता चिटुंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे बेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिंचालयाण य छियाण य कसाण य वायरासीण य पुंजा निगरा चिटुंति। तस्स णं दुजोहणस्स-चारगपालस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मोग्गराण य कणंगराण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति। तस्स ण दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे तंतीण य वरत्ताण य वागरन्जूण य वालयसुत्तरज्जूण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे असिपत्ताण य करपत्ताण य खुरपत्ताण य कलम्बचीरपत्ताण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे लोहखीलाण य कडगसक्कराण य चम्मपट्टाण य अल्लपट्टाण य पुंजा य निगरा च संनिक्खित्ता चिटुंति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालस्स बहवे सूईण य डंभणाण य कोट्टिल्लाण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे पच्छाण (सत्थाण) य पिप्पलाण य कुहाडाण य नहच्छेयणाण य दब्भतिणाण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति। ७-दुर्योधन नामक उस चारकपाल के निम्न चारकभाण्ड—कारागार सम्बन्धी साधन–उपकरण
SR No.003451
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_vipakshrut
File Size5 MB
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