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समर्पण
जिनकी तलस्पर्शी विद्वता जैन संघ में विश्रुत है, अनेकानेक दशाब्दियों जिनके उज्ज्वल आचार की
साक्षी हैं, जो आगम-ज्ञान के विशाल भण्डार हैं, बहुभाषाविज्ञ हैं, ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ आचार्य हैं,
जिनका हृदय नवनीत-सा मृदुल एवं मधुर है, जिनके व्यवहार में असाधारण सौजन्य झलकता है,
संघ जिनके लोकोत्तर उपकारों से ऋणी है,
उन महास्थविर श्रमण संघरत्न
पण्डितप्रवर उपाध्याय
श्री कस्तूरचन्द्रजी महाराज
के कर-कमलों में
0 मधुकर मुनि
(प्रथम संस्करण से)