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________________ कल्पसूत्र की टीकाओं में बहत्तर कलाओं का वर्णन प्राप्त होता है। वे ज्ञातासूत्र की बहत्तर कलाओं से प्रायः भिन्न हैं । वे इस प्रकार हैं- (१) लेखन (२) गणित (३) गीत (४) नृत्य (५) वाद्य (६) पठन (७) शिक्षा (८) ज्योतिष (९) छन्द (१०) अलंकार (११) व्याकरण (१२) निरुक्ति (१३) काव्य (१४) कात्यायन (१५) निघंटु (१६) गजारोहण ( १७ ) अश्वारोहण (१८) अरोहणशिक्षा (१९) शास्त्राभ्यास (२०) रस ( २१ ) यंत्र (२२) मंत्र (२३) विष (२४) खन्ध (२५) गन्धवाद (२६) प्राकृत (२७) संस्कृत (२८) पैशाचिका (२९) अपभ्रंश (३०) स्मृति (३१) पुराण (३२) विधि (३३) सिद्धान्त (३४) तर्क (३५) वैद्यक (३६) वेद (३७) आगम (३८) संहिता (३९) इतिहास (४०) सामुद्रिक (४१) विज्ञान (४२) आचार्य विद्या (४३) रसायन (४४) कपट (४५) विद्यानुवाद दर्शन (४६) संस्कार (४७) धूर्त संवलक (४८) मणिकर्म (४९) तरुचिकित्सा (५०) खेचरी कला (५१) अमरी कला (५२) इन्द्रजाल (५३) पातालसिद्धि (५४) यन्त्रक (५५) रसवती (५६) सर्वकरणी (५७) प्रासाद लक्षण (५८) पण (५९) चित्रोपल (६०) लेप (६१) चर्मकर्म (६२) पत्रच्छेद (६३) नखछेद (६४) पत्रपरीक्षा (६५) वशीकरण (६६) कष्टघटन (६७) देशभाषा (६८) गारुड (६९) योगांग (७०) धातु कर्म (७१) केवल विधि (७२) शकुनिरुत । आचार्य वात्स्यायन ने "कामसूत्र" में चौसठ कलाओं का वर्णन किया है। उन चौसठ कलाओं के साथ ज्ञातासूत्र में आई बहत्तर कलाओं की हम सहज तुलना कर सकते हैं। वे बहत्तर कलाएँ चौसठ कलाओं के अन्तर्गत आ सकती हैं। देखिए कामसूत्र (१) गीत (२) वादित्र (३) नृत्य (४) आलेख्य (५) विशेषकच्छेद्य (पत्रच्छेद्य) (६) तंडुल कुसुमबलि विकार (७) पुष्पस्तरण (पुष्पशयन) (८) दशनवसनांगराग (९) मणि भूमि कर्म (१०) शयन रचन (११) उदक वाद्य (१२) उदकघात (१३) चित्रयोग (१४) माल्यग्रंथन (१५) शेखरकापीड योजन (१६) नेपथ्य प्रयोग (१७) कर्णपत्र भंग १. कल्पसूत्र सुबोधिकाटीका (५) गीत (६) वादित्र (४) नाट्य ३३ ज्ञातासूत्र (३) रूप (६८) पत्रच्छेद्य २. कामसूत्र विद्यासमुद्देश प्रकरण (७) स्वरंगत (८) पुष्करगत (९) समताल (२०) शयनविधि ? (३१) तरुणीप्रतिकर्म (१९) विलेपन (३८) वस्त्रविधि (२०) शयनविधि
SR No.003446
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Literature, & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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