________________
सूत्रकृतांगसूत्र : द्वितीय श्रु तस्कन्ध
परिचय
- सूत्रकृतांग सूत्र के इस द्वितीय श्रुतस्कन्ध को नियुक्तिकार और वृत्तिकार ने 'महाध्ययन' भी
कहा है, जिसके दो कारण बताए हैं-(१) इस श्रु तस्कन्ध के अध्ययन बहुत बड़े-बड़े हैं (२) प्रथम श्रुतस्कन्ध में उक्त संक्षिप्त विषय इन अध्ययनों में दृष्टांत देकर विस्तारपूर्वक
वर्णित है।' _ द्वितीय श्रुतस्कन्ध के सात अध्ययन हैं । इन के नाम ' इस प्रकार हैं-(१) पुण्डरीक,
(२) क्रियास्थान, (३) आहारपरिज्ञा (४) प्रत्याख्यानक्रिया (५) आचारश्रुत या आगारश्रुत (६) आर्द्र कीय, और (७) नालन्दीय । इन सात अध्ययनों में से 'प्राचारथ त' और 'आर्द्र कीय' ये दो अध्ययन पद्यरूप हैं, शेष पांच अध्ययन गद्यरूप हैं। आहारपरिज्ञा में केवल चार पद्य हैं, शेष समग्र अध्ययन गद्यमय है। नियुक्तिकार इन सात अध्ययनों को क्रमशः १७ वें अध्ययन से २३ वें अध्ययन तक मानते हैं।
00
१. (क) सूत्रकृतांग नियुक्ति गा० १४२-१४३
(ख) सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति पत्रांक २६७ २. सूत्रकृतांग नियुक्तिगाथा २२