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________________ अद्दइज्ज : छठें अज्झयणं आर्द्रकीय : छठा अध्ययन भगवान महावीर पर लगाए गए आक्षेपों का आर्द्र कमुनि द्वारा परिहार७८७-पुराकडं अद्द ! इमं सुणेह, एगंतचारी समणे पुरासी। से भिक्खुणो उवणेत्ता प्रणेगे, आइक्खतेण्हं पुढो वित्थरेणं ॥१॥ ७८७-(गोशालक ने आर्द्र कमुनि से कहा-) हे आर्द्रक! महावीर स्वामी ने पहले जो आचरण किया था, उसे मुझ से सुन लो ! पहले वे एकान्त (निर्जन प्रदेश में अकेले) विचरण किया करते थे और तपस्वी थे। अब वे (आप जैसे) अनेक भिक्षुत्रों को इकट्ठा करके या अपने साथ रख कर पृथक्-पृथक् विस्तार से धर्मोपदेश देते हैं। ७८८--साऽऽजीविया पट्टवियाऽथिरेणं, सभागतो गणतो भिक्खुमझे। प्राइक्खमाणो बहुजण्णमत्थं, न संधयाती प्रवरेण पुव्वं ॥२॥ ७८८-उस अस्थिर (चंचलचित्त) महावीर ने यह तो अपनी आजीविका बना (स्थापित कर) ली है। वह जो सभा में जाकर अनेक भिक्षों के गण के बीच (बैठ कर) बहुत-से लोगों के हित के लिए धर्मोपदेश देते (व्याख्यान करते) हैं, यह उनका वर्तमान व्यवहार उनके पूर्व व्यवहार से मेल नहीं खाता; (यह पूर्वापर-विरुद्ध आचरण है।) ७८६-एगंतमेव अदुवा वि इण्हिं, दोवऽण्णमण्णं न समेति जम्हा। पुवि च इण्हि च प्रणागतं वा, एगंतमेव पडिसंधयाति ॥३॥ ७८६-(पूर्वार्द्ध) इस प्रकार या तो महावीर स्वामी का पहला व्यवहार एकान्त (निर्जन प्रदेश में एकाकी) विचरण ही अच्छा (सम्यक् आचरण) हो सकता है, अथवा इस समय का अनेक लोगों के साथ रहने का व्यवहार ही अच्छा (सम्यक् आचरण) हो सकता है। किन्तु परस्परविरुद्ध दोनों आचरण अच्छे नहीं हो सकते, क्योंकि दोनों में परस्पर मेल नहीं, विरोध है। (उत्तरार्द्ध) [गोशालक के आक्षेप का आर्द्र कमुनि ने इस प्रकार समाधान किया-] श्रमण भगवान महावीर पूर्वकाल में, वर्तमान काल में (अब) और भविष्यत्काल में (सदैव) एकान्त का ही अनुभव करते हैं। अतः उनके (पहले के और इस समय के) आचरण में परस्पर मेल है; (विरोध नहीं है)। ७६०–समेच्च लोगं तस-थावराणं, खेमंकरे समणे माहणे वा। प्राइक्खमाणो वि सहस्समझे, एगंतयं साहयति तहच्चे ॥४॥
SR No.003439
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages282
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_sutrakritang
File Size20 MB
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