________________
४४१
प्राथमिक
O
इस अध्ययन में इसी प्रशस्त भाव - आदान के सन्दर्भ में विवेक की दुर्लभता, संयम के सुपरिणाम, भगवान् महावीर या वीतराग पुरुष का स्वभाव, संयमी पुरुष की जीवन पद्धति, विशाल चरित्र सम्पन्नता आदि का निरूपण है । "
इस अध्ययन में कुल पच्चीस गाथाएँ हैं, जो यमकालंकार युक्त एवं श्रृंखलावत् हैं । प्रस्तुत अध्ययन सूत्रगाथा ६०७ से प्रारम्भ होकर ६३१ सूत्रगाथा पर पूर्ण होता है ।
0
२ (क) सूत्रकृतांगनिर्युक्ति गा० १३२ से १३६ तक (ख) सूत्र कृ० शी ० वृत्ति पत्रांक २५२-२५३
(ग) जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भा० १, पृ० १५५