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गन्ध, माल्य, स्नान, दन्त-प्रक्षालन, वस्तु परिग्रह (संग्रह), हस्तकर्म, औद्दे शिक आदि दोषयुक्त आहारसेवन, रसायन सेवन, मर्दन ज्योतिषप्रश्न सांसारिक बातें, शय्यातरपिण्ड ग्रहण, द्यूतक्रीड़ा, धर्मविरुद्ध कथन, जूता, छाता, पंखे से हवा करना, गृहस्थ पात्र वस्त्र सेवन, कुर्सी - पलंग का उपयोग गृहस्थ के घर में बैठना, उनका कुशल पूछना, पूर्वक्रीड़ितस्मरण, यश-कीर्ति, प्रशंसा, वन्दन-पूजन, असंयमोत्पादक अशन-पान तथा भाषादोष साधु के संयम धर्म को दूषित करने वाले आचारव्यवहार के त्याग का उपदेश है । 3
सूत्रकृतोग - नवमं अध्ययन -:
-धर्म
उद्दे शकरहित इस अध्ययन की कुल ३६ (चूर्णि के अनुसार १७ ) गाथाएँ हैं । यह अध्ययन सूत्रगाथा ४३७ से प्रारम्भ होकर ४७२ पर समाप्त होता है ।
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३ (क) सूयगढंग सुत्तं ( मूलपाठ टिप्पण) पृ० ७६ से ८४ तक का सारांश (ख) जैनसाहित्य का बृहद् इतिहास भाग १ पृ० १४-१५०