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________________ ( १२ ) " और आगम बत्तीसी का सम्पादन - विवेचन कार्य प्रारम्भ भी । इस साहसिक निर्णय में गुरुभ्राता शासनसेवी स्वामी श्री ब्रजलाल जी म. की प्रेरणा / प्रोत्साहन तथा मार्गदर्शन मेरा प्रमुख सम्बल बना है। साथ ही अनेक मुनिवरों तथा सद्गृहस्थों का भक्ति-भाव भरा सहयोग प्राप्त हुआ है, जिनका नामोल्लेख किये बिना मन संन्तुष्ट नहीं होगा । आगम अनुयोग शैली के सम्पादक मुनि श्री कन्हैयालालजी म० " कमल", प्रसिद्ध साहित्यकार श्री देवेन्द्रमुनिजी म० शास्त्री, आचार्य श्री आत्मारामजी म० के प्रशिष्य भंडारी श्री पदमचन्दजी म० एवं प्रवचनभूषण श्री अमरमुनिजी विद्वद्रत्न श्री ज्ञान मुनिजी म० स्व० विदुषी महासती श्री उज्जवलकुंवरजी म० की सुशिष्याएँ महासती दिव्यप्रभाजी एम. ए. पी. एच. डी.; महासती मुक्तिप्रभाजी तथा विदुषी महासती श्री उमरावकुंवरजी म० 'अर्चना', विश्रुत विद्वान श्री दलसुखभाई मालवणिया सुख्यात विद्वान पं० श्री शोभाचन्द जी भारिल्ल स्व० पं० श्री हीरालालजी शास्त्री, डा० छगनलालजी शास्त्री एवं श्रीचन्दजी सुराणा "सरस” आदि मनीषियों का सहयोग आगम सम्पादन के इस दुरूह कार्य को सरल बना सका है । इन सभी के प्रति मन आदर व कृतज्ञ भावना से अभिभूत है। इसी के साथ सेवा-सहयोग की दृष्टि से सेवाभावी शिष्य मुनि विनयकुमार एवं महेन्द्र मुनि का साहचर्य - सहयोग, महासती श्री कानकुंवरजी महासती श्री झणकारकुंवरजी का सेवा भाव सदा प्रेरणा देता रहा है । इस प्रसंग पर इस कार्य के प्रेरणा स्रोत स्व० श्रावक चिमनसिंहजी लोढ़ा, स्व ० श्री पुखराजजी सिसोदिया का स्मरण भी सहज रूप में हो आता है जिनके अथक प्रेरणा प्रयत्नों से आगम समिति अपने कार्य में इतनी शीघ्र सफल हो रही है। दो वर्ष के इस अल्पकाल में ही दस आगम ग्रन्थों का मुद्रण तथा करीब १५-२० आगमों का अनुवाद-सम्पादन हो जाना हमारे सब सहयोगियों की गहरी लगन का द्योतक है। , मुझे सुदृढ़ विश्वास है कि परम श्रद्धेय स्वर्गीय स्वामी श्री हजारीमल जी महाराज आदि तपोपूत आत्माओं के शुभाशीर्वाद से तथा हमारे श्रमणसंघ के भाग्यशाली नेता राष्ट्र-संत आचार्य श्री आनन्दऋषिजी म० आदि मुनिजनों के सद्भाव सहकार के बल पर यह संकल्पित जिनवाणी का सम्पादन - प्रकाशन कार्य शीघ्र ही सम्पन्न होगा । इसी शुभाशा के साथ............ -मुनि मिश्रीमल "मधुकर" ( युवाचार्य)
SR No.003438
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages565
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_sutrakritang
File Size11 MB
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