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________________ पश्चात् टिप्पणी पृ० ३. सहेलियों की बाड़ी का निर्माण महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय (१७११-१७३४ई.) ने कराया था। टॉड साहब ने इसको 'हाडी रानी की सहेलियों की बाड़ी' लिखा है । परन्तु, महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय के कोई हाडी रानी नहीं थी । यहाँ लेखक को भ्रम हो गया है। वास्तव में, महाराणा संग्रामसिंह प्रथम (महाराणा सांगा) की स्त्री हाडी रानी थी, जो बूंदी के राव नबंद हाडा की पुत्री और सूरजमल की बहन थी। उसका नाम करमेती या कर्मवती था । इस रानी के पुत्र विक्रमादित्य और उदयसिंह को महाराणा सांगा ने रणथम्भौर की जागीर दी थी और हाड़ा सूरजमल को उनका अभिभावक नियुक्त किया था, परन्तु बाद में साँगा के पुत्र रतनसिंह ने महाराणा बनने पर इसका विरोध किया था और अन्त में एक शिकार के प्रसंग में रत्नसिंह और सूरजमल दोनों कट मरे थे। (उ. रा. इ. , मुंहता नैणसी री ख्यात; वीरविनोद) पृ० २३. म्यूसीडोरा (Musidora)-जेम्स थॉमसन (James Thomson) कृत 'Seasons' नामक काव्य में म्यूसीडोरा और उसके प्रेमी डॅमन (Damon) का वर्णन आता है । डॅमन ने म्यूसीडोरा को स्नान करते हुए देखा था और वह उसी अवस्था में उस पर मुग्ध हो गया था। The Oxford Companion to English Literature by Paul Harvey पृ०६१. पर अन्तिम पैरे से पहले पढ़िए.---" सिरोही के राजा और उनके अधीनस्थ सामन्त देवड़ा जाति के हैं। यह राजपूतों की श्रेष्ठ शाखा चौहानों के अन्तर्गत मानी जाती है। पाबू के शिखर इनकी क्रीडास्थली रहे हैं और वहां से वे अरावली और बाबू से लगते हुए प्रान्त में फैल गए थे । जोधपुर के राठोड़ों द्वारा मरु में पदार्पण करने से बहुत पूर्व ही, जब वे कन्नौज नगर में राज्य-वैभव का उपभोग कर रहे थे, देवड़ों ने नांदोल, जालोर और अन्य स्थानों में छोटे-छोटे राज्य स्थापित कर लिए थे। सिरोही प्राबू और चन्द्रावती उस समय परमारों के अधिकार में था और जब तक जालोर के राजा कान्हदेव के काका ने तेरहवीं शताब्दी में कपटपूर्वक परमारों का वध करके पूर्व राज्य और उसके अधीनस्थ भागों पर अधिकार न कर लिया तब तक यह प्रान्त उन्हीं के पास रहा था। देवड़ा राजा आजकल जिस नगर में रहते हैं वह अपेक्षाकृत आधुनिक है और पुरानी सिरोही तो पहाड़ की दूसरी श्रेणी के पीछे बताई जाती है, परन्तु वहाँ जाने के लिए मेरे पास समय नहीं था।" पृ०४८१. Helots के विषय में पाद टिप्पणी पढ़िए १. प्लूटार्क ने एक संदर्भ में मदमस्त हैलॉटों (Drunken Helots) का उल्लेख किया है । हैलॉट प्राचीन स्पेन निवासी थे और कतिपय विशिष्ट अवसरों पर सुरामत्त होने का रिवाज़ इनमें प्रचलित था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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