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________________ परिशिष्ट' सं० १ (पृ. १२) मोडिसा (वर्तमान मोरिया-स्थित) कनखलेश्वर मन्दिर का शिलालेख संवत् १२६५, बैसाख सुद पूनम, मंगलवार। चालुक्यवंशीय परमभट्टारक महाराजाधिराज श्रीमद् भीमदेव के विजय राज्य और जीवनकाल में, जब श्रीकररगमंत्री, समस्त राजमण्डल में बलिष्ठ केवल धारावर्षदेव का छत्र चन्द्रावती नगरी सर्वस्वभूमण्डलके ऊपर छाया हुआ था और जब उस समय राजा प्रल्लादन देव राजकार्य का सञ्चालन करता था, उस समय वीर केदारेश्वर ने कङ्कलेश्वर के मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया। शिलालेख' का लेखक पण्डित लखमीधर । ' इस परिशिष्ट में ग्रंथकर्ता ने उनके द्वारा सन्दर्भित शिलालेखों के प्रावश्यक अंशों का अंग्रेजी अनुवाद दिया है। उसी अनुवाद का यथावत् हिन्दी रूपान्तर यहाँ दिया जाता है । परन्तु, कितने ही लेखों का अंग्रेजी अनुवाद ठीक ठीक नहीं हुमा जिससे भ्रान्ति हो सकती है। अतः ऐसे लेखों को शुद्ध पाठ सहित पूरे रूप में उद्धृत कर दिया गया है। इनके विषय में प्रावश्यक सूचनायें भी, जैसी उपलब्ध हो सकी, उल्लिखित कर दी गई हैं। इस सामग्री का उपयोग "The Historical Inscriptions of Gujrat" आदि पुस्तकों में से किया गया है ।--अनुवादक २ कनखलेश्वर महादेव का मन्दिर और सरोवर 'बदरीनाप' में हैं, जो इस सरोवर में स्नान करते हैं उनका पनर्जन्म नहीं होता । कन्कल, 'खल' का अर्थ है अपराधों और मूर्खतामों से युक्त, पोर कन्' का अर्थ है उनका विनाश करना। 3 यह लेख उर्जन के शिवमठ के महन्त चपल अथवा चपलीय जाति के केदारराशि ने उत्कीर्ण कराया था। इसका हेतु उसके द्वारा अचलगढ़ में कनखल तीर्थ पर उसके पुण्यकार्यों को चिरस्मृत करने का है । लेख आबू पर्वत पर स्थित ईश्वर अथवा शिव की स्तुति से प्रारम्भ होता है और फिर राजाओं के समान केदारराशि के प्राध्यात्मिक गुरुषों की नामावली दी गई है। चण्डिकाश्रम का प्रथम महन्त वाकलराशि था, उसका शिष्य ज्येष्ठजराशि, तदनु योगेश्वर राशि, फिर मौनिराशि और योगेश्वरी साध्वी, फिर दुर्वासराशि हुआ, तच्छिष्य केदारराशि था। इस लेख के अन्त में बीसवीं पंक्ति से चौबीसवीं पंक्ति तक प्रणहिलवाड़ा के भीमदेव (द्वितीय) का उल्लेख है। यथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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