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________________ १०० ] पश्चिमी भारत की यात्रा - "जब वह यौवन से भरपूर और गर्वोन्नत था, ऊपर झण्डे लहरा रहे थे और नोचे युद्ध चल रहा था; परन्तु जिन्होंने युद्ध किया था बे रक्त से सने कफन में दबे पड़े हैं और लहराने वाले (झण्डे ) चिथड़े चिथड़े हो कर मिट्टी में मिल गए हैं. a, टूटे फूटे किले की दीवारों पर भविष्य में कोई चोट न होगी” राव श्योसिंह ने, जो आबू और सिरोही का स्वामी था, मुझ से फिर मिलने की इच्छा प्रकट की परन्तु मैं उसको तथा उसके साथियों को इस थका देने वाली यात्रा का कष्ट देना नहीं चाहता था और साथ ही स्वयं भी (ग्रपने काम में ) बाधा से बचना चाहता था । परन्तु इसका कोई असर न हुआ और तुरन्त ही मेरी विचारधारा को भङ्ग करते हुए एक दूत ने आ कर सूचना दी कि राव मुझसे मिलने की इच्छा कर रहे हैं । कुञ्ज में पहुँचने पर मैंने देखा कि उसके जागीरदार दोनों तरफ़ श्रेणीबद्ध खड़े हैं- मैं उनके बीच में हो कर आगे बढ़ा तो महाराव मेरा स्वागत करने के लिए सामने या रहे थे । उन्होंने और उनके सरदारों ने मुझसे इस प्रकार श्रालिङ्गन किया जैसे पुत्र पिता से मिलकर करता है । यह सब हो चुकने के बाद उन्होंने मुझे अपने साथ गद्दी पर बैठाने के लिए आग्रह किया परन्तु मैंने इस सम्मान को विनम्रता के साथ अस्वीकार कर दिया । इस पर उन्होंने कहा कि वे वाणी एवं शरीर से उस व्यक्ति के प्रति अपना आभार किस प्रकार प्रकट करें कि जिसने उनको एवं उनके देश को कष्टों से मुक्त किया था ? उन्होंने फिर कहा कि एक सच्चे चौहान की भाँति वे अपने देश के जंगलों में भीलों के साथ रह कर दिन काट लेते परन्तु जोधपुर की मातहती सहन कर के अपने को पतित न बनाते । मुझे इस अवसर पर वे और भी भले मालूम दिए— उनकी घबड़ाहट कम हो गई थी और अपने ही आबू के पवित्र वातावरण में वे स्वस्थता एवं वाणी की स्वतन्त्रता का अनुभव करते जान पड़ रहे थे। उनकी निजी एवं देश की भलाई के अतिरिक्त हमने और भी कितने ही विषयों पर बातें कीं जैसे, उनकी प्रजा का उत्थान, बेगार प्रथा को बन्द करना, व्यापारियों को सुविधा प्रदान करना, जंगली जातियों को दबा कर उन्हें शान्तिपूर्ण और नियमानुसार जीवन बिताने योग्य बनाना, आदि । फिर उनके पूर्वजों के इतिहास के विषय में बातचीत करते हुए हमने सुप्रसिद्ध सुरतान' के पराक्रमों का वर्णन किया जो उद्दण्डता में हमारे कैन्यूट से भी बढ़कर था और जिसने - ' सिरोही का राव ( १५७२ - १६१० ई० ) । • डेनमार्क का निवासी कॅन्यूट ( Canute or Knut the Great ) जो १०१६-१०३५ई० तक इंगलैण्ड का बादशाह रहा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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