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________________ जब यूरोप में बारुद का आविष्कार हुआ, तो लोगों ने समझा कि अब युद्ध नहीं होगा । जब टैंकों और वायुयानों का आविष्कार हुआ, तब भी यही सम्भावना पैदा हुई और संसार के राजनीतिज्ञों ने यही आश्वासन दिया । मगर लोगों ने देखा कि युद्ध बंद तो हुआ नहीं, उसने और भी प्रचण्ड रूप धारण कर लिया । पहले जो युद्ध होते थे, सैनिकों तक ही सीमित रहते थे। पर आज सैनिक और असैनिक का भी भेद नहीं रह गया । पहले के अस्त्र-शस्त्रों में सीमित संहारक शक्ति थी, आज वह असीम होती जा रही है। एक छोटा-सा बम गिरा और अनेकों के प्राण चले गये । फिर भी युद्ध का अन्त कहाँ नजर आ रहा है ? संसार का - संहार करने के नये-नये प्रयत्न किये जा रहे हिंसा, प्रतिहिंसा । | हैं। कहीं-कहीं युद्ध समाप्त भी नहीं हो पाता और दूसरे युद्ध की तैयारियाँ होने लगती को जन्म देती है। हैं । हिंसा, प्रतिहिंसा को जन्म देती है । खून से भरा कपड़ा। हालत यह है कि मनुष्य बारुद के ढेर खून से साफ नही | पर बैठा है और पलीता पास में रख छोडा हो सकता। है। कहता है- मैं बारुद में पलीता लगा दूँगा, तो शान्ति हो जायेगी । किन्तु क्या यह शान्ति प्राप्त करने का तरीका है ? पर दुनियाँ की आज यही स्थिति बन गई है। खून से भरा कपड़ा खून से साफ नहीं हो सकता । यह नयी बात नहीं है, हजारों वर्ष पहले कही हुई बात है। कपड़े को धोने के लिए पानी आवश्यक है, खून आवश्यक नहीं । परन्तु मनुष्य सुनता नहीं है, और अभी तक रक्त के कपड़े को रक्त से ही धोने का प्रयत्न कर रहा है। इसलिए शान्ति दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। जो देश धनी हैं, वे भी अशान्त हैं और 69
SR No.003430
Book TitleAnand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSugal and Damani Chennai
Publication Year2007
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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