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आशीर्वचन विश्व आक्रान्त है, चिंतित है, समस्याओं से ग्रसित है तथा सुख एवं आनन्द के प्रशस्त राजमार्ग की खोज में जुटा हुआ है, किन्तु वहाँ तक पहुँच ही नहीं पा रहा है । चाह है, लगन है, परन्तु कार्यान्विती नहीं है। पूज्य गुरुदेव राष्ट्रसन्त उपाध्याय अमरमुनि जी ने भगवान् महावीर के उपदेश को आत्मसात् करते हुए उन्हें क्रियान्वित किया- वीरायतन के माध्यम से । यही कारण है कि वे अमर हो गये।
आज गुरुदेव भले ही देह रूप में हमारे मध्य नहीं है तथापि उनकी वाणी, उनका उपदेश आज भी हमें सम्बोधित एवं उद्बोधित कर रहा है तथा प्रेरणा प्रदान कर रहा है- सतत जागरण की, अहर्निश अग्रसर होने की !
श्री सुगालचन्दजी सिंघवी तथा उनका प्रतिष्ठान 'सुगाल एण्ड दमानी' गुरुदेव श्री की पुस्तक- अपरिग्रह दर्शन का नूतन संस्करण प्रकाशित कर रहे हैं, यह ज्ञात कर हार्दिक प्रसन्नता हुई । इस प्रकाशन के लिये मेरी मंगल भावनाएं । भविष्य में भी वे इसी प्रकार गुरुदेव श्री की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने में सहभागी बनेंगे, यही सत्कामना ।
पाठकगण इस पुस्तक से अवश्य ही लाभान्वित होंगे तथा जीवन में आनन्द, सुख तथा शान्ति का शुभ्र एवं निर्मलतम निर्झर बहायेंगे । इसी विश्वास के साथ
- आचार्य माँ चन्दना