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________________ इसलिए भगवान् महावीर का दर्शन हमें कहता है कि 'यदि जीवन में शान्ति एवं अनाकुलता चाहते हो, तो इच्छा-परिमाण व्रत धारण करो ।' जीवन में जो इच्छाएँ हैं, आवश्यकताएँ हैं, उनको समझने का प्रयत्न करो कि वे जीवन-धारण के लिए आवश्यक हैं, उपयोगी हैं, या सिर्फ शृंगार या अहंकार के पोषण के लिए ही हैं ? इच्छाओं का वर्गीकरण करने के बाद ही आपके जीवन में उबुद्ध हुई इच्छाओं के सम्बन्ध में समय पर उचित निर्णय हो सकता है कि अमुक प्रकार की इच्छाएँ पूर्ण करनी है इससे अन्य सब अनुपयोगी इच्छाओं की एक सीमा और मर्यादा बन जाएगी । और तब जीवन में परेशानी, कठिनाई और तकलीफें कम हो जाएंगी । हर परिस्थिति में आनन्द और उल्लास का अनुभव होने लगेगा। 303
SR No.003430
Book TitleAnand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSugal and Damani Chennai
Publication Year2007
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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