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________________ विशेषीकरण में बाधा: जिस प्रकार समाजीकरण के साधन होते हैं, उसी प्रकार समाजीकरण में कुछ बाधाएँ भी उपस्थित होती रहती हैं । जब समाजीकरण में किसी भी प्रकार की बाधा उपस्थित हो जाती है, तब उस व्यक्ति का समाजीकरण नहीं हो पाता । एक व्यक्ति भले ही कितना भी महत्वाकांक्षी, कितना भी अधिक बुद्धिमान और कितना भी अधिक चतुर क्यों न हो, समय और परिस्थिति से बाध्य होकर जब वह अपना समाजीकरण नहीं कर पाता, तब वह समाज के और उसकी संस्कृति के उदात्त गुणों को ग्रहण करने में असमर्थ हो जाता है । इस प्रकार का व्यक्ति समाज के किसी भी क्षेत्र में अपना विशेषीकरण नहीं कर पाता । जीवन की सफलता और समृद्धि के लिए यह परमावश्यक है कि व्यक्ति के जीवन का किसी भी क्षेत्र में विशेषीकरण होना चाहिए । विशेषीकरण एक ऐसी शक्ति है, जिससे व्यक्ति का व्यक्तित्व शानदार और चमकदार बन जाता है । विशेषीकरण तो होना चाहिए, परन्तु अहंकार नहीं होना चाहिए । व्यक्ति के व्यक्तित्व के समाजीकरण में अहंकार सबसे बड़ी बाधा है, अहंकारी व्यक्ति समाज से दूर भागता जाता है, अतः उसके जीवन का समाजीकरण नहीं हो पाता । और जब तक व्यक्ति के जीवन का समाजीकरण न होगा, तब तक उसके जीवन का सम्पूर्ण विकास सम्भव नहीं है । व्यक्ति परिवार में रहे, समाज में रहे अथवा राष्ट्र में रहे, उसे यह सोचना चाहिए कि यह मेरा जीवन मेरे अपने लिए नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए है । जिस तरह दूध से भरे हुए कटोरे में शक्कर घुल-मिल जाती है । वह दुग्ध के कण-कण में परिव्याप्त हो जाती है और जिस प्रकार एक बिन्दु सिन्धु में मिलकर अपनी अलग सत्ता नहीं रखता, उसी प्रकार व्यक्ति का व्यक्तित्व जब समाज में मिलकर अपनी अलग सत्ता नहीं रखता तभी वह इस तत्व को समझ सकता है कि समाज का लाभ, मेरा अपना लाभ 274
SR No.003430
Book TitleAnand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSugal and Damani Chennai
Publication Year2007
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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