SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 262
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ने जीवन की सबसे बड़ी कला है । कमल के समान निर्लिप्त रहने वाला व्यक्ति, फिर भले ही वह कहीं पर भी क्यों न रहता हो, उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता । गीता में श्री भी यही बात कही है - "अर्जुन ! तुम संसार में उसी प्रकार अनासक्त रहो, जिस प्रकार जल में कमल रहता है ।" इस प्रकार कमल हमारे जीवन में इतना ओत-प्रोत हो चुका है कि जीवन से उसे अलग नहीं किया जा सकता । भारतीय संस्कृति में शरीर को भी कमल कहा गया है और मानव-मन को भी कमल कहा गया है । कृष्ण केकी तुम संसार में उसी प्रकार अनासक्त रहो, जिस प्रकार जल में कमल रहता है टेस हमारे प्राचीन साहित्य में पद्मवन और कमलासन जैसे शब्दों का प्रयोग भी उपलब्ध होता है । जीवन में कमल से बहुत कुछ प्रेरणा हमें प्राप्त होती है। यही कारण है कि कमल हमारे जीवन में इतना परिव्याप्त हो चुका है कि उसे जीवन से अलग नहीं किया जा सकता । जो व्यक्ति संसार में कमल बनकर रहता है, उसे किसी प्रकार का परिताप नहीं रहता । कमल की उपासना करने वाला व्यक्ति भी कमल के समान ही स्वच्छ और पावन बन जाता है । मैं आपसे कह चुका हूँ कि प्रकाश और कमल भारतीय संस्कृति के दो मुख्य तत्व है । जीवन-पथ को आलोकित करने के लिए प्रकाश की नितान्त आवश्यकता रहती है किन्तु जीवन को सुरभित बनाने के लिए कमल की उससे भी कहीं अधिक आवश्यकता रहती है । कमल के जीवन की सबसे बड़ी और सबसे मुख्य विशेषता है- उसकी मनमोहक सुगंध । 245
SR No.003430
Book TitleAnand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSugal and Damani Chennai
Publication Year2007
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy