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भी प्राणी की हिंसा नहीं करनी चाहिए । जो कार्य तुम्हें पसंद नहीं, उसे दूसरों के लिए भी न करो। इस नश्वर जीवन में न तो किसी प्राणी की हिंसा करो, न किसी को पीड़ा पहुचाओ । बल्कि सभी आत्माओं के प्रति मैत्री भावना स्थापित कर विचरण करते रहो । किसी के साथ वैर न करो ।
यही नहीं अपने को लड़ाकू एवं बलिदान प्रिय धर्म की दुहाई देने वाले इस्लाम धर्म के भीतर झाँक कर देखें तो वह भी अहिंसा की नींव पर टिका हुआ प्रतीत होगा । इस्लाम धर्म में भी कहा गया है- “खुदा सारी दुनियाँ (खल्क) का पिता (खालिक) है । दुनियाँ में जितने प्राणी है, वे सब खुदा के बंदे (पुत्र) हैं । कुरान शरीफ की शुरुआत में 'विस्मिल्लाह रहिमानुर्रहीम' कहकर खुद को रहम का देव कहा है, कहर का नहीं । हजरत अली साहब ने तो पशु-पक्षियों तक पर रहम करने को कहा है" हे मानव, तूं पशु-पक्षियों की कब्र अपने पेट में मत बना । कुरान शरीफ का फरमान है कि जिसने किसी की जान बचाई - उसने मानो सारे इन्सानों की जिन्दगी बख्शी ।"4
ईसाई धर्म में उद्बोधन देते हुए महात्मा ईसा ने कहा है कि- 'तू तलवार म्यान में रख ले, क्योंकि जो लोग तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से ही नाश किए जाएंगे ।' अन्यत्र भी उन्होंने कहा है- “तुम
1. अहिंसा परमो धर्मः सर्व-प्राण-भृतांवर : । ___ तस्मात् प्राणभूतः सर्वान् मा हिंस्यान्मानुषः क्वचित् । - महाभारत आदि पर्व 1/1/13 2. आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत् । 3. न हिंस्यात सर्व-भूतानि, मैत्रायण-गतश्चरेत् । __नेदं जीवितमासाद्य, वैरं कुर्वत केनचित् ।। - महाभारत, शांति पर्व 278/5 4. व मन् अहया हा फक अन्नया अह्यन्नास अमीअनः । - कुरान शरीफ 5/35
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