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गृहस्थ की कौन-सी मर्यादा हो, जीवन की समस्याओं पर उन्होंने एक रूपक दिया है । वह इस प्रकार है
एक राजा था और उसके तीन लड़के थे। राजा बूढ़ा हो गया, तो उसे अपना उत्तराधिकारी चुनने की चिन्ता हुई । उसने सोचा- तीन पुत्रों में से किसे उत्तराधिकारी बनाया जाए ?
आम तौर पर या तो ज्येष्ठ पुत्र को उत्तराधिकार दिया जाता है, या फिर राजा अपने सब से अधिक प्रिय पुत्र को उत्तराधिकार दे देता है । पर बूढ़ा राजा इन दोनों तरीकों को पसन्द नहीं करता था। उसके लिए तीनों पुत्र समान रूप से प्रिय थे और वह ज्येष्ठता को योग्यता का प्रमाण नहीं समझता था । उसका विचार दूसरा था । उसने अपनी प्रजा का पुत्र के समान पालन-पोषण किया था और प्रजा उसको अपना पिता समझती थी । जो राजा और प्रजा के बीच के इस मधुर सम्बन्ध को कायम रख सके, इस पवित्र परम्परा को बढ़ा सके और इस दृष्टि से जो सर्वाधिक योग्य हो, उसी को राजा बनाना चाहिए; यही बूढ़े राजा का दृष्टिकोण था ।
राजा ने अपने मन्त्री से परामर्श किया कि तीनों राजकुमारों में से किसे उत्तराधिकारी बनाया जाए ? पर मन्त्री के लिए भी यह निर्णय करना कठिन था । आखिर यह निश्चय हुआ कि राजकुमारों की परीक्षा कर ली जाए और जो सब से अधिक योग्य साबित हो, उसे राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया जाए ।
तीनों राजकुमारों को राजमहल में भोजन के समय आमन्त्रित किया गया । समय पर तीनों राजकुमार आ गए और उन्हें भोजन के लिए आसनों पर बिठला दिया गया । भोजन के थाल उनके सामने रख दिए गए । पर ज्यों ही वे भोजन करने हेतु उद्यत हुए कि तीन भयंकर
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