SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुरुष की शक्ति : ४५. सुख की राह बताने वाला कितना प्रिय होता है ! जिनपालित और जिनरक्षित वहाँ जा पहुंचे। यक्ष ने कहा . "तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ। परन्तु ध्यान रखना, तुम जरा भी उसके भय और प्रलोभन में मत फँसना । जरा भी फंसे, कि मरे ।" ___अश्व-रूप यक्ष उन्हें लेकर चल पड़ा। रत्ना देवी अपने महल में पहुँचते ही सब रहस्य समझ गई। पीछे तलवार लेकर दौड़ी। भय और प्रलोभन दोनों दिए, परन्तु जिनपालित ने उधर ध्यान भी नहीं दिया। जिनरक्षित उनके सौन्दर्य को देखकर और प्रिय वचनों को सुनकर ज्यों हो विमोहित हुआ कि अश्व को पीठ से गिर पड़ा । देवी ने उसे मार डाला। दृढ़ रहने पर जिनपालित अपने घर पहुँच गया। ज्ञाता अ०९/. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003423
Book TitlePiyush Ghat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy