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भूले-भटके राही : १८६ जायेंगे। इसे थोड़ा देना ही अच्छा है । मुसीबतों से बचाव हो जायगा। उसने एक टुकड़ा उसे फेंक दिया।
__ इतने में ही वहां एक दूसरा सियार आ टपका। पहले सियार ने उस पर प्रहार करके उसे भगा दिया । और सम्पूर्ण मत गज पर आधिपत्य जमा लिया।
यह तो एक रूपक हैं समाज में सभी प्रकार के मनुष्य होते हैं। उत्तम, मध्यम, अधम और सदृश। उत्तम को विनय से, मध्यम को भेंट से, अधम को थोड़ा देकर और सदृश को बल से अपने वश में करके की कला सौखे विना जीवन सुखी और समृद्ध नहीं बन सकता । यह एक नीति का सिद्धान्त है
उत्तम प्रणिपातेन, शूरं भेदेन योजयेत् । नोचमल्पप्रदानेन, सदृशं च पराक्रमः ॥"
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