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________________ बकरे का सुख जो मनुष्य खा-पीकर मस्त बना रहता है. धर्म साधना नहीं करता, उसकी क्या स्थिति होती है ? इसको उत्तराध्ययन सूत्र के 7 वें अध्ययन में एक रूपक के द्वारा समझाया किसी अनार्थ पुरुष के घर एक बकरा था, और गाय तथा बछड़ा भी था । बह गह स्वामी बकरे को दो बार स्नान कराता, उसके शरीर पर रंग-बिरंगे बेलबूटे करता। अच्छा पौष्टिक भोजन देता । कपड़े ओढ़ाता । खूब लाड़-प्यार करता। उसकी हर तरह से सेवा करता । बकरे का यह सुख-वैभव देखकर पास ही बंधे बछड़े ने गाय से कहा :____माँ, यह क्या बात है ? यह बकरा इस पुरुष को कुछ भी नहीं देता, फिर भी उसकी इतनी सेवा ? और तु दूध देती है, फिर सूखा घास मिलता है। इस भेदभाव का कारण क्या है ? गाय ने बछड़े को धीरे से समझाते हुए कहा:-बेटा, तरमाल से से यह सूखा घास अच्छा। उसका रहस्य कभी अवसर पर बताऊँगी। एक बार उस पुरुष के घर पर उसका कोई प्रिय अतिथि आया। पुरुष ने अपने हाथ में पैनी छुरी लेकर बकरे को काट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003423
Book TitlePiyush Ghat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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