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बुद्धिर्यस्य वलं तस्य
मालव देश को राजधानी उज्ययिनी नगरी में राजा चण्डप्रद्योत राज्य करता था । वह उद्धत, कर, अहंकारी और बलवान् था। पर-पीड़न में हो उसको शक्ति का उपयोग होता था।
एक बार श्रेणिक राजा के पास अपना दूत भेजकर उसने कहलाया---
"सिंचानक गन्धहस्ती, वंकचूड़हार, अभयकुमार और चेलमना रानो मुझे दे दो । नहों, तो युद्ध के लिए तैयार रहो।"
अभयकुमार ने दूत से कहा-अपने राजा से जाकर यह कहना
"अग्निरथ, अनिलगिरि हाथी, वज्रजंध दूत और शिवा देवो यहाँ भेज दो। यदि अपनी कुशलता आप को प्रिय हो, तो।"
राजा चण्डप्रद्योत क्रुद्ध होकर अपनी विशाल सेना लेकर राजगृह पर चढ़ आया। परन्तु अभय ने भेदनीति के प्रयोग से चण्डप्रद्योत को भगा दिया। __ रहस्य खुलने पर चण्डप्रओत को अभय पर बड़ा क्रोध आया उसने एक वेश्या को श्राविका बनाकर धोखे से अभय को अपने यहाँ पकड़ लाने में सफलता प्राप्त की।
परन्तु अभय बड़ा बुद्धिमान था। जिसके पास बुद्धि है, वहीं बलवान है। जिसके पास बुद्धि नहीं, वह निर्बल है। अभय को अपनी बुद्धि पर विश्वास था।
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