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________________ भूले-भटके राही : १३५ अमात्य तेतलि ने मृत पुत्री रानी के पास रख दी, और राजकुमार को पोटिला के पास रख दिया। राजा को पुत्र जन्म का पता लगते ही वह तलवार लेकर आया । परन्तु मालूम हुआ कि रानी के मत पूत्री हुई है, वह लौट गया। अमात्य ने राजकुमार का नाम रखा-कनक ध्वज । ___ कालान्तर में तेतलि पुत्र का पोटिला के प्रति स्नेह मन्द हो गया । प्रयत्न करने पर भी वह अमात्य को अपने घर पर अनुरक्त नहीं कर सकी। अपने नगर में आने वाली बहुश्रु ता सुव्रता आर्या से भी पोटिला ने भक्ति करके यह पूछा-''कोई मन्त्र, तन्त्र, यन्त्र, औषधि टोना-टाभण या ऐसा वशीकरण बताइए, जिससे में अपने पति को अनुरक्त कर सकूँ।" ___आर्या सुव्रता ने शान्त भाव से कहा-'भद्रे, हम श्रमणी है। धर्म सुनने की इच्छा हो, तो सुना सकती है। परन्तु चरित्र विरुद्ध बात हम अपने कानों से सुनना भी पसन्द नहीं करती हैं।" सुव्रता की वाणी का पोट्टिला के चित्त पर गहरा असर पड़ा। वह प्रवजा लेने को तैयार हो गयी । तेतिल पुत्र से अनुमति लेने की भावना से आकर बोल। "मेरा यह संकल्प है।" अमात्य ने कहा--- "मैं अनुमति दे सकता है। परन्तु इस शर्त पर कि देवता बनकर तू मुझे प्रतिबोध देने नाना।" पोट्टिला ने बात मान ली पोट्टिला साध्वी होकर अल्पकाल में ही साधना करके देव बनी।। राजा कनक रथ के अवसान हो जाने पर तेतलि ने कनक ध्वज को राजा बनाया। कनक ध्वज तेतलि को अपने पिता के तुल्य समझता था। कुलीन व्यक्ति अपने उपकार करने वाले को सदा आदर देता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003423
Book TitlePiyush Ghat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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