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________________ सच्चा त्यागी कौन ! गणधर सुधर्मा की देशना से भावितात्मा होकर एक कठियारा ने प्रव्रज्या ग्रहण करने की, भव्य भावना अभिव्यक्त की। वह श्रमण बनकर आत्म-साधना में संलग्न हो गया । तपः साधना में वह सदा अप्रमत्त रहता। उस कठियारा को भिक्ष बना देख-वहां के लोग परस्पर कहते थे : "पेट भरने को भोजन नहीं था, तन ढाँपने को कपड़ा नहीं था और सिर छुपाने को घर नहीं था, इसलिए भिक्षु बन गया। इसने कौन-सा त्याग किया है ? त्यागने को इसके पास था ही क्या ?" ___ लोकापवाद के भय से अधीर होकर नव भिक्ष ने सुधर्मा से निवेदन किया : “गुरु देव, मुझे यहाँ से अन्यत्र ले चलिए।" अभय कुमार को जब इस घटना का पता लगा, तो उसने गणधर सुधर्मा से प्रार्थना की : "आप यहाँ से विहार न कीजिए। मैं लोगों की भ्रान्त धारणा का समाधान कर दूंगा।" ___ अभय कुमार बुद्धिमान् था। कठिन से कठिन समस्या का हल वह कर सकता था। उसने रत्नों की तीन ढेरी लगा लीं, और नगर में उद्घोषणा करा दी, कि अभय कुमार रत्नों का दान करना चाहता है। हजारों लोग एकत्रित हो गए । अभय कमार ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा : “तुम में से जो भी व्यक्ति अग्नि, जल और नारी-इन तीनों का परित्याग करेगा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003423
Book TitlePiyush Ghat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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