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काम विजेता स्थूल भद्र !
पाटली पुत्र में नन्द राजा राज्य करता था। शकटाल उसका मन्त्री था। मन्त्री के स्थूल भद्र और श्रियक दो पुत्र थे तथा सेणा, वेणा एवं रेणा आदि प्रभृति सात पुत्रियाँ भी थीं। उनकी स्मरण शक्ति अजब-गजब की थी ! ___पाटलीपुत्र में वररुचि एक ब्राह्मण था, विद्वान और चतुर भी । वह राजा से बहुत धन लेता था। प्रजा के धन का दुरुपयोग देखकर शकटाल को बड़ा क्लेश होता था। उसने वररुचि को धन देना बन्द कर दिया था। वररुचि ने वैर की गाँठ बांधली थी। अतः शकटाल को संकट में डालने में वररुचि सफल हो गया। परन्तु श्रियक के हाथ से मरकर शकट ने अपने वंश के विनाश को रोक दिया। नन्द ने श्रियक को मन्त्री बनने को कहा । पर वह माना नहीं। बोला : “स्थूल भद्र मेरा बड़ा भाई है, उसे मन्त्री बना लें।"
स्थूलभद्र कोशा वेश्या के राग में मतवाला और मस्त था। परन्तु पिता की मृत्यु की सूचना से वह प्रबुद्ध हो गया। वैराग्य से भावित होकर उसने दीक्षा ग्रहण कर ली।
स्थूलभद्र मुनि दीक्षा लेकर ज्ञान-ध्यान में रत रहने लगे। ग्रामानुग्राम विहार करते हुए स्थूलभद्र अपने गुरु के साथ पाटलिपुत्र पधारे । चातुर्मास का समय नजदीक आ जाने से गुरु ने वहीं पर चतुर्मास कर दिया। तब गुरु के समक्ष आकर चार
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