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________________ ३६ / अस्तेय दर्शन है। इसके विपरीत जो गद्दी पर प्रामाणिक नहीं है, वह अपने को और अपने देश और समाज को बदनाम कर सकता है। यह उसके हाथ में है कि वह अपने धर्म, देश, समाज और राष्ट्र की कालिख को धो डाले या और पोत दे मैं व्यापारी की महत्ता तभी मानता हूँ, जब वह एक रूप हो। अर्थात् कोई भी बालक, बूढ़ा, बहिन, जान-पहचान का या अनजान व्यक्ति आए तो वह किसी से भी धोखा न करे और यही समझे कि जैसे मेरा बालक, बाप, बहिन आदि हैं, उसी प्रकार यह भी समाज के अंग होने से मेरे हैं। और जब मैं अपने घर वालों के साथ किसी प्रकार का धोखा नहीं करता, तो इनके साथ भी मुझे धोखा नहीं करना चाहिए। जैसे मैं अपने परिवार के प्रति प्रामाणिक हूँ, उसी प्रकार मुझे इनके प्रति भी प्रामाणिक होना चाहिए। इस प्रकार की प्रामाणिकता जिस व्यापारी में आ गई है, वही आदर्श और धार्मिक व्यापारी है । और जिसमें यह प्रामाणिकता नहीं, वह गद्दी पर बैठकर अपना और दूसरों का जीवन नष्ट कर रहा है। वह धार्मिक क्रिया-काण्डों का कितना ही क्यों न प्रदर्शन करे; सच्चे अर्थ में धार्मिक नहीं है । किसी भी धर्म के अनुयायी की अपने धर्म के प्रति यही सबसे बड़ी सेवा है कि वह अपने जीवन व्यवहार में एकरूपता रक्खे। जिसने यह कला प्राप्त कर ली है, उसने शानदार धार्मिकता प्राप्त कर ली है। उसके पास चाहे बूढ़ा आए, चाहे अबोध बालक आए, चतुर आए या मूर्ख आए, सब के साथ उसका व्यवहार एकरस ही होगा। वह अपनी प्रामाणिकता का रेकार्ड कायम कर लेगा। जो ऐसा कर लेता है, मैं समझता हूँ कि वह बड़ा काम कर रहा है। वह अपने जीवन को उत्कर्ष की भूमिका पर पहुँचा रहा है और साथ ही अपने धर्म का, देश का और समाज का गौरव बढ़ाकर उनकी महान् सेवा कर रहा है । भला, मुँह देख तिलक लगा देना भी कोई भलमनसाहत है ! आप पहुँचे तो एक रूप और दूसरा पहुँचा तो दूसरा रूप ! यह तो बहुरूपिये की तरह रहना है और गिरगिट की तरह रंग बदलना है ! ऐसी जगह सत्य और अहिंसा नहीं रहती। अतएव भगवान् महावीर की आज्ञा है कि जहाँ कहीं भी रहो, इस प्रकार रहो कि आपस में किसी प्रकार की कटुता न आए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003418
Book TitleAsteya Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Vijaymuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages152
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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