SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आनन्द की पगडंडियाँ विश्व में संघर्ष एवं अशान्ति का कारण इच्छाएं हैं। परिवार में जब सदस्यों के मन में अपनी आकांक्षाएं उदित होती हैं, तो वे उन्हें पूरी करने का प्रयत्न करते हैं। आकांक्षाओं के साथ ही उनके मन में स्वार्थ का उदय भी हो जाता है। परिवार का स्वार्थ, उनके अपने जीवन तक सीमित हो जाता है। जबकि सब की आकांक्षाएँ और सबके स्वार्थ भिन्न होते हैं, परन्तु हर व्यक्ति अपने स्वार्थ को साधना चाहता है। हर व्यक्ति का यह प्रयत्न होता है कि वह अपने स्वार्थ को अवश्य ही पूरा करे । यदि उसे पूरा करने के लिए दूसरे के स्वार्थ को कुचलना ही पड़े, तो वह ऐसा करने में नहीं हिचकता । इससे उनके स्वार्थ परस्पर टकराते हैं और संघर्ष शुरू हो जाता है । यही स्थिति सामाजिक, धार्मिक एवं राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष की है। पारिवारिक संघर्ष से लेकर विश्व-युद्ध तक के संघर्षों का मूल कारण स्वार्थी भावना एवं अपनी आकांक्षाओं को पूर्ति है । अतः दुनिया भर की समस्त अशान्तियों, दुःखों, चिन्ताओं एवं आपत्तियों का मूल स्वार्थ है, तृष्णा है, अतृप्त कामना है। दुनिया का हर व्यक्ति इस बात को स्वीकार करता है कि स्वार्थ अशान्ति का कारण है। परन्तु आत्म-विनाशी भ्रम एवं अज्ञान के कारण वह स्वार्थ की हंडिया दूसरे के सिर पर फोड़ता है । वह एक ही रट लगाता रहता है कि यह मेरा नहीं, उसका (विरोधी का) स्वार्थ है।' वह भूलकर भी इस सत्य को स्वीकार नहीं करता है कि मेरा स्वार्थ ही मेरे दुःख का कारण है । वह सदा अपने स्वार्थ पर पर्दा डालने का प्रयत्न करता है। यह %. Most people will admit that sejfishness is the cause of all the unhappiness in the world, but they fall under the soul. destroying delusion that it is somebody else's selfishness and their own. James Allen Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003415
Book TitleAparigraha Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy