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________________ १५० | अपरिग्रह-दर्शन ___मैं आपसे कह चुका है, कि प्रकाश और कमल भारतीय संस्कृति के दो मुख्य तत्व हैं। जीवन-पथ को आलोकित करने के लिए प्रकाश को नितान्त आवश्यकता रहती है। किन्तु जीवन को सुरभित बनाने के लिए, कमल की उससे भी कहीं अधिक बड़ी आवश्यकता रहती है। कमल के जीवन की सबसे बड़ी और सबसे मुख्य विशेषता है, मनमोहक सुगन्ध । जिस कमल में अथवा जिस कुसुम में सुन्दर सुगन्ध नहीं होती, उसका जनजीवन में न कुछ महत्व होता है- और न कुछ गौरव हो हो पाता है। कल्पना कीजिए, किसी फल में रूप भी हो, सौन्दयं भो हो, पर सुरभि न हो, तो वह जन-मन के लिए ग्राह्य नहीं हो सकता। वस्तुतः बही जीवन धन्य है, जो प्रकाश के समान जगमग करता है, और कुसुम के समान सुरभित रहता है। चार प्रकार के फूल : भगवान् महावीर ने 'स्थानांग सूत्र' में चार प्रकार के पुष्पों का वर्णन किया है ---एक पुष्प वह है, जिसमें रूप एवं सौन्दर्य होता है, परन्तु सुरभि नहीं रहती, दूसरा पुष्प वह है, जिसमें सुरभि तो होती है, पर रूप और सौन्दर्य नहीं रहता। तीसरा पुष्प वह होता है, जिसमें अद्भुत रूप भी होता है और अद्भुत सुरभि भी रहती है । चौथे प्रकार का पुष्प वह है, जिसमें न सौन्दर्य होता है, और न सुरभि-सुगन्ध ही होती है । उदाहरण के लिए-हम टेस फल को लें। उसमें रूप-सौन्दर्य और आकर्षण तो रहता है, परन्तु उसमें सुगन्ध नहीं होतो। वकुल-पुष्प को लीजिए, उसमें मादक सुगन्ध का भण्डार भरा रहता है । अपनी सुरभि और सुगन्ध से वह दूरदूर के भ्रमरों को आकर्षित करता रहता है, और दूरस्थ मनुष्य के मन को भी वह मुग्ध कर लेता है, किन्तु जैसे ही मनुष्य उसके समीप पहुँचता है, उसके रूप को देखकर वह मुग्ध नहीं हो पाता । जपा पुष्प को लीजिए, उसमें रूप और सौन्दर्य दोनों का समन्वय हो जाता है । गुलाब के फल का रूप भी अद्भुत होता है, वह देखने वाले के चित्त को आकर्षित करता है, और साथ ही उसमें सुरभि और सुगन्ध भी अपरिमित होती है । चौथा पुष्प आक का है, जिसमें न सुन्दरता का अधिवास है, और न सुरभि का निवास । वह न देखने में सुन्दर लगता है, और न सघने में। इस प्रकार का पुष्प जन-मन को कभी ग्राह्य नहीं हो सकता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003415
Book TitleAparigraha Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1994
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size10 MB
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