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मकोड़े पैदा होते रहते हैं। अविश्वासी मन हलाहल विष है, उससे बचकर ही रहना चाहिए।
आदर्श और व्यवहार
आदर्श वह, जो जीवन की गहराई में उतर कर व्यवहार में आचरण का वज्र - रूप ग्रहण कर ले । न उसे दुःख की गर्म हवाएँ मुरझा सकें और न सुखकी ठंडी हवाएँ गुद-गुदा सकें। आदर्श. भय और प्रलोभन की क्षुद्र सीमाओं से परे होता है । सच्चा आदर्शवादी सत्पुरुष वह है, जिसे संसार के भयंकर - से - भयंकर तूफानी झंझावात भी अपने निर्धारित आदर्श-पथ से विचलित न कर सकें।
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अमर - वाणी
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