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मूल प्रश्न
मूल प्रश्न
मानव के सामने एक मूल प्रश्न है कि वह अपने क्षण - भंगुर जीवन को विश्व के इतिहास में 'सत्यं, शिवं, सुन्दरम्' कैसे बनाता है ?
सजीव शान्ति मानव-संसार शान्ति के लिए छटपटा रहा है, आज से नहीं, अनादि काल से । परन्तु, सच्ची शान्ति, जीवन की शान्ति जहाँ है, वहाँ खोजने का प्रयत्न नहीं हुआ है । तलवार दिखाकर किसी को चुप कर देना, यह भी एक शान्ति है । प्रलोभन के सुनहरे स्वप्नसंसार में अपने को भुलाकर शान्त हो जाना, यह भी एक शान्ति है। परन्तु यह शान्ति मरण की शान्ति है, जीवन की शान्ति नहीं। जीवित शान्ति बाहर नहीं, अन्दर में जन्म लेती है । जब मनुष्य के मन की आवश्यकताएँ और वासनाएँ कम होती जाती हैं, स्वार्थ के स्थान पर परमार्थ की वृत्ति जागृत हो जाती है, विश्व-कल्याण
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