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समाज
संघर्षों का मल कारण आज के दुःखों, कष्टों और संघर्षों का मूल कारण यह है कि मनुष्य अपना बोझ खुद न उठाकर दूसरों पर डालना चाहता है । अपना बोझ दूसरों पर डालना, अपना काम खुद न करके दूसरों से करवाना, आज के जन-समाज में गौरव समझा जा रहा है। परन्तु यह सबसे बड़ा अन्याय है, अत्याचार है, दुराचार है । अपना काम खुद करने में लज्जा किस बात की ? अपना काम दूसरों से कराने का हक या तो बीमार को है या अपंग, अपाहिज को। स्वस्थ होते हुए भी अपने काम का बोझ दूसरों पर डालना प्रतिष्ठा नहीं, पाप है।
व्यक्ति और समाज मनुष्य ! तू यह न समझ कि तेरी भलाई, और बुराई तेरी अपनी व्यक्तिगत है, अतः वह तेरे तक ही सीमित है । याद रख, तेरे प्रत्येक कार्य का प्रभाव विराट् संसार में दूर - दूर तक पड़ता है। क्या यह सत्य नहीं है कि एक कोने में कंकर फेंकने से सरोवर की सम्पूर्ण जलराशि तरंगित हो उठती है ?
समाज
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