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आत्म - विजय
आत्म - विजय का मार्ग शरीर, इन्द्रियाँ, मन, सुख - दुःख, मान - अपमान, हानि - लाभ आदि द्वन्द्वों से सर्वथा दूर हो कर जाता है।
आत्मा
मन, वाणी और शरीर की समस्त क्रियाओं को चलाने वाली एक चैतन्य शक्ति है, जिसे आत्मा, जीव या ब्रह्म कहते हैं। यही ज्ञान और आनन्द का केन्द्र है। यदि आत्मा स्वस्थ है, उसमें किसी प्रकार का विकार नहीं है, तो दुःख कैसा ? धधकती ज्वालाओं में भी फूलों का गुदगुदापन मालूम होगा !
खोल को तोड़ो
आत्मानुभूति कोई बाहर से प्राप्त होने वाली वस्तु नहीं है । - वह तो अन्दर ही मिलेगी, एकमात्र अन्दर ही। शरीर, इन्द्रिय
और मन की वासना के खोल को तोड़ कर फेंक दो, आत्मानुभूति का प्रकाश अपने - आप जगमगा उठेगा।
सबसे बड़ा आदर्श
मनुष्य के सामने सबसे बड़ा आदर्श क्या है ? मनुष्य के सामने सबसे बड़ा आदर्श अपने - आपको परिष्कृत कर, सँवार कर साफ कर पूर्ण और उत्कृष्ट बनाना है, नर से नारायण बनाना है गरुड़ की उड़ान के आदर्श गगन - चुम्बी हिम - शिखर हैं, और मक्खी-मच्छरों के आदर्श कूड़े के ढेर । मनुष्य जहाँ बाहर में मर्ख
अमर.वार्ण
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