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________________ अनेक-विद्वदालेखित-नानाप्रकार - रचनानिबद्ध विज्ञप्ति लेख संग्रह मूल लेख संग्रहात्मक प्रथम भाग अनेकप्राचीनहस्तलिखित - आदर्शानुसारेण ____संपादनकर्ता आचार्य, जिन विजय मुनि (निवृत्त-सम्मान्य नियामक (ऑनररी डायरेक्टर)-भारतीय विद्याभवन, बंबई) संस्थापक एवं सम्मान्य संचालक - राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर | ऑनररी मेंबर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी ] सम्मान्य सदस्य-भाण्डारकर प्राच्यविद्या संशोधन मन्दिर, पूना; गुजरात साहित्य सभा, अहमदाबाद ; विश्वेश्वरानन्द वैदिकशोध संस्थान, होशियारपुर, पञ्जाब प्रधान संपादक- गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर ग्रन्थावली; भारतीय विद्या ग्रन्थावली; जैन साहित्यसंशोधक ग्रन्थावली; सिंघी जैन ग्रन्थमाला; राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला -इत्यादि, इत्यादि . प्रकाशनकर्ता अधिष्ठाता, सिं घी जैन शास्त्र शिक्षा पीठ भारतीय विद्याभवन, बम्बई विक्रमाब्द २०१६] ग्रन्यांक ५१] [मूल्य रु० १०/५० प्रथमावृत्ति [ख्रिस्ताब्द १९६० सर्वाधिकार सुरक्षित Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003412
Book TitleVignapti Lekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1960
Total Pages238
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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