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परख धर्म का शास्त्र-निकष है, किन्तु, शास्त्र वह कौन, कहाँ है ? शास्त्र वही है, दया, क्षमा-- त्याग, तपस् की ज्योति जहाँ है।
शब्दों के जंगल में मानव, आदिकाल से भटक रहा है। भाव-बोध का सत्य, खेद है-- शब्द-जाल में अटक रहा है।
--उपाध्याय अमरमुनि
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पन्ना समिक्खए धम्म
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