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सब जीवों को एक भावना,
सबको सुख-कल्याण चाहिए। कोई भी हो, कभी किसी को,
दुःख, कष्ट, पीड़ा न चाहिए ।
अजर-अमर तू नित्यरूप है,
फिर मरने से क्या डरता है। महाकाल के चक्रवात में,
तू क्या मरता, तन मरता है।
--उपाध्याय अमरमुनि
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पन्ना समिक्खए धम्म
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