________________
Jain Education International
ज्योतिर्मय पथ है, मंगल का,
सबके मंगल में मंगल । वैयक्तिक स्वार्थी मंगल तो,
मंगल क्या है, है दंगल ॥
सागर सदा गरजता रहता, क्षुद्र तलैया मिट जाती ।
क्षुद्र भावना सर्वनाश की,
हेतु सुनिश्चित बन जाती ॥
- उपाध्याय श्रमरमुनि
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org.