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सुख का राजमार्ग है केवल,
प्रात्म-बोध, निजपन का ज्ञान । प्रतः और कुछ नहीं चाहिए,
__एक चाहिए अपना भान ।।
और न कोई दुःख मूल है,
दुःख मूल है निज प्रज्ञान। दुःख मुक्त हो सुख पाना, तो--
निज स्वरूप पर रखिए ध्यान ॥
--उपाध्याय अमरमुनि
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