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सांसारिक विषयों का रागी,
क्षण-क्षण अधोगमन करता । शुद्ध देव, गुरु, धर्म, भक्ति का,
रागी ऊर्ध्व गमन करता ॥
राग, राग में प्रति अन्तर है,
विष में अमृत में जितना। एक अशुभ है, शुभ है दूजा,
मर्म न यह अोझल करना ॥
--उपाध्याय अमरमुनि
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