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प्रास्तिकता, नास्तिकता क्या है,
अल्पाक्षर में तत्व यही है। चित्स्वरूप को निष्ठा में हो,
प्रास्तिकता को ज्योति रही है।
देह विनश्वर सदा अचेतन,
इससे भिन्न शुद्ध है चेतन। जड़-चेतन का भेद बोष हो,
पूर्ण अबाधित प्रास्तिक दर्शन ॥
--उपाध्याय पर
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