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$572-75). ८२४]
श्रीतरुणप्रभाचार्यकृत चकारइतउ कामभोगाशंशा। तत्र शब्दरूप काम कहियई। गंध रस स्पर्श भोग कहियई। यथा। 'एह तप तणइ प्रभावि मू रहई पइलई भवि काम भोग मनोवांछित हाइजिउं।' इसी परि एउ पंचविधु ५ अतिचार मू रहई मरणंते जा चरमु ऊसासु तेतीही वार म होइजिउ ५॥
8572) तत्र इह लोकशंशा विषइ चित्त तणउ भाई संभूतु मातंगऋषि दृष्टांतु । परलोकाशंशा विषइ अनामिका दृष्टांतु ललितांग देवदर्शनानुरागि जिणि नियाणउं देवी भाव विषद कीधउं । कामभोगाशंशा विषइ नर्दिषण कथा।
8573) जीविताशंशा' मरणाशंशा' विषइ धर्मघोष धर्मयश इसा नामहं करी प्रसिद्ध छई मह. ऋषि तीहं तणी कथा लिखियह ॥
ईही जि भरतक्षेत्र माहि कौशांबी नामि नगरी हूंती । तिहां अजितसेनु नामि राजा। धारिणी नामि राणी । अनेरइ वरसि बहुश्रुत गुणविश्रुत धर्मवसु इसई नामि आचार्य संजमगुण समाहित तिणि नगरी वृद्धावासि रहिया । तीहं तणा वि शिष्य एकु धर्मघोषु बीजउ धर्मयशु । बिहुं तीहं महासत्तहं 10 संलेखना करिवा' आरंभी । तिहां विगतभया इसइ नामि यथार्थनाम प्रवर्तिनी हूंती। तिणि संघु
पूछी करी अणसणु लीधउं । चमत्कारकारिणी तेह रहई प्रभावना संघि करावी। तिणि देवलोकि । गई हूंती पुनरपि तेह तणा कलेवर रहइं सज्जनानंदकारिणी पूजा पौरजनहं करावी। सु पूजाडंबरु 15
देखी करी धर्मघोषु ऋषि मन माहि चीतवइ, 'धन्य धन्य ए प्रवर्तिनी । जह जीवतीही मृतही रहई इसी प्रभावना हुई। एह पुरी माहि किम हउं पुण' हवडा अण सणु करउ तउ मू रहई पुण इसी प्रभावना हुइ' । इसउं चीतवी करी धर्मघोषि अणसणु लीधउं। .
8574) बीजउ धर्मयशा मुनि चीतवइ ‘लोकि जाणाविइ' किसउं छइ ? हउं आपहे एकांति 20 जाई साधना करउं॥ तथाच भणितं
किं परजण बहु जाणावइ वरमप्पसक्खियं सुकयं । इह भरहचकवट्टी पसन्नचंदो य दिटुंता ।
[८२४] इसउं चीतवी करी गुरु नी अनुमति ले करी उज्जयिनी अनइ यच्छगा नदी अंतराल गिरिकंदरि जाई करी पादपोपगमनि अनशनि रहिउ । जिम सिंहु निभीकु हुयइ तिम थाई एकाकी सुस्थिरचित्तु हूयउ। एतलइ प्रस्तावि उज्जयिनी नगरीमंडनु चंड प्रद्योतनंदनु धारिणी-कुक्षिसंभवु पालकु इसइ नामि अवनिपालकु हुयउ । तेह नउ लहुडउ भाई गोपालु इसइ नामि युवराजा । लघुकर्म भावइतउ सु सुगुरु पादमूलि दीक्षाग्रहणु करइ । पालक तणा अवंतिवर्द्धन राष्ट्रवर्द्धन इसां नामहं करी विख्यात बि पुत्र हूया' 125 ति पुत्र राज्य अनइ यौवराज्यि थापी करी पालकि पुण दीक्षा लीधी । धारिणी नामि राष्ट्रवर्द्धन तणी भार्या, रूपि करी जिसी कामभार्या हुयइ तिसी, हुई । अवंतिसेनु इसइ नामि तेह तणउ पुत्रु हूयउ।
575) अनेरइ दिनि उद्यानवनि क्रीडा करिती धारिणी अवंतिवर्द्धनि ज्येष्ठि निज नैत्रकौमुदी समानरूप दीठी
दीठी । तउ पाछइ सकामु थिक दूतिकामुखि प्रार्थिवा लागउ । धारिणी भणि उं, “महाराज! जे आपणी लाज नहीं तउ किसउं भाई तणी लाज पुण' नहीं ? " तउ पाछइ अवंतिवर्द्धनि कामातुरि हूंतइ30 आपणउ भाई राष्ट्रवर्द्धनु कूडु करी मारिउ । अथवा कामी किस किस न करई।
$571) 2 Note the solitary example where B. and Bb. both drop kha-h - and write पइलइ for पहिलइ । 3 Bh. omits. 8573) 12.शंसा । 2 P. adds निमितु। 3 P.-नामि। 4. P. प्रवर्तनी। 5 P. चमत्कारक-। 6. P.
संजना-17. Bh. omits. 8 Bh. हिवडां। 8574) 1 Bh. जाणावियइ । P. जाणाविवइ । 2 P. हूअउ । 3. Bh. नामहं। 4 P. हुआ। 8575) 1. Bh. करती । 2. P. थकउ । 3. Bh. p. omit,
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