________________
४८
षडावश्यकबालावबोधवृत्ति $132 - $135 ). १५७-१६४ कदाकालिहिं अहितु उपदिसइ नहीं इणि कारणि आभवु संसार सीम तेह गुरु तणी आण मू रहई अखंड अविराधित हुउ । एउ प्रणिधानु नियाणउं नहीं, जिणि कारणि प्राइहिं निस्संगाभिलाषू जु कीधउं छइ।
$132) जु पुणि गुरुजणपूया ससंगाभिलाषु को कहिसिइ सु न कहिवो, जिणि कारणि जननीजनकमानना श्री महावीरदेवि' आपणपई कीधी छइ । तथा च भणितम्
अह सत्तमम्मि मासे गब्भत्थो चेव उग्गहं गिन्हे । नाऽहं समणो होहं अम्मापियरेहिं जीवंतो॥
[१५७] ___ कृतकृत्यता पुणि तोई जि हुयइ जउ मावीत्र मानियई । तथा हिपित्रोः आनृण्यभाग् नाऽहं भवाम्येकेन जन्मना । यकाभ्यां सोढकष्टाभ्यां पूतरः कुंजरीकृतः॥
[१५८] ॥ इति बालावबोधचैत्यवंदनासूत्रवृत्ति संपूर्ण हुई ॥
॥ शुभं भवतु ॥
__ [ १६०]
$133 ) अथ वंदनक तणउ अथु लिखियइ ॥
मुहणंतय २५ देहा २५ ऽऽवस्सएसु २५ पणवीस हुँति पत्तेयं । छट्ठाणा ६ छच्चगुणा ६ छच्चेव ६ हवंति गुरुवयणा ६ ॥ [१५९] अहिगारिणो य पंच ५ य इयरे पंचेव ५ पंच ५ पडिसेहा । एगोवग्गहु १ पंचाभिहाण ५ पंचेव ५ आहरणा ॥ आसायण तित्तीसं ३३ दोसा बत्तीस ३२ कारणा अट्ट । बाणउयसयं ठाणाण वंदणए होइ नायव्वं ॥
[१६१] 'मुहणंतयं' मुहुंती कहियइ, तेह नी पंचवीस पडिलेहण । देहु सरीरु तेह तणी पंचवीस पडिलेहण । 20 आवश्यक अवश्यकरणीय व्यापारविशेष ति पुणि पंचवीस 'पणवीस हुंति पत्तेयं' एह नउ अथु हूयउ । एवंकारइ थानक पंचहुत्तरि हूयां । 8134) तथा हि
दिविपडिलेहे एगा पप्फोडा तिन्नि तिन्नि अंतरिया ७ । अक्खोडा पक्खोडा नव नव २५ इय पुत्ति पणवीसा ॥ [१६२] पायाहिणेण तिय तिय बाहुसु सीसे मुहे य हियए य १० । पिट्ठीइ हुंति चउरो ४ छप्पाए ६ देह पणवीसा ॥
[१६३] आवश्यक पंचवीस यथा
दोणयं २ अहाजायं १ किइकम्मं बारसावयं १२ ।
चउसिरं ४ तिगुत्तं ३ दुपवेसं २ एगनिक्खमणं १॥ [१६४] 30 1 35) बि अवनाम जिणि हुयइं सु 'दोणयं' कहियइ । तथा हि-'इच्छामि खमासमणो वंदिउं
जावणिज्जाए निसीहियाए' इसउं भणी गुरुच्छंद अणुजाणाविवा कारणि एकु अवनामु, एवं बीजी वार बीजउ अवनामु २। यथाजातु जिम जातु जन्म हुयइ तिम थिकां वांदणउं दीजइ तिणि करणि यथाजातु
$132) 1 Bh. महावीरि-1 $134 ) 1 Bh. लेहि। 2 Bh. तिगुत्तिं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org